कविता

कविता : सुनो न कभी तुम भी…

सुनो न कभी तुम भी
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सुनो न कभी तुम भी
खामोशियों को मेरी !
खामोश रह कर भी ये
दिलों के राज़ खोलती हैं !!

पढ़ो न कभी तुम भी
आँखों की इस जुबां को !
दुनिया की भीड़ में भी
तुझको ही खोजती हैं !!

जानो न कभी तुम भी
छुपी मेरे मन की पीड़ा !
तेरी ख़ुशी की खातिर
सारी रस्में तोड़ती हैं !!

कभी मन से सुनो,

खामोशियों को मेरी !
खामोश रह कर भी ये
बहुत कुछ बोलती हैं !!

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed