भजन
माया में फंसकर जीव तूने, सुन्दर जीवन गंवाया रे।
जाग जा अब भी सोच, क्या खोया क्या पाया रे।
मन चंचल रहा पल-पल भ्रमाता, इसकी सुन ली बहुत;
चेतन कर दे आत्मा को, समझ जा इसकी माया रे।
कहते हर बार साहिब जी, गर सुने कोई ध्यान से;
नाम दान देकर बार -बार, तुझे साहिब ने चेताया रे।
मिल जाएगी सच्ची खुशी, मन में तू यह ठान ले;
सत्संग का रस पान कर ले, शब्दों में यही समझाया रे।।।
कामनी गुप्ता ***
प्रिय सखी कामनी जी, बहुत खूब, सत्संग के रस पान से सच्ची खुशी मिल सकती है. एक सटीक व सार्थक रचना के लिए आभार.
प्रिय सखी कामनी जी, बहुत खूब, सत्संग के रस पान से सच्ची खुशी मिल सकती है. एक सटीक व सार्थक रचना के लिए आभार.
बहुत धन्यवाद जी।
बहुत धन्यवाद जी।