दोहे (गुरु)
गुरु जग में सबसे बड़ा, कहते खुद जगदीश |
गुरु के चरणों में सभी,आज नवाओं शीश ||
गुरु के बिन ना मिल सके, जग में सच्चा ज्ञान |
गुरुवर के उपकार से, मिल जाते भगवान ||
गुरुवर भटकी नांव की, बन जाते पतवार |
भव सागर से सहज ही, देते पार उतार ||
विनयशील रहते सदा, नहीं तनिक अभिमान |
किया अनुग्रह आपने, देते उत्तम ज्ञान ||
गुरु एेसो वर दीजिए, करु मैं एेसो काज |
खुद भी उन्नत हो सकूं, सीखे सकल समाज ||
दोहे सुन्दर हैं रचे, गुरु के रूप अनूप
गुरु दिखलावे राह नई, गुरु है ज्ञानहि भूप
सादर
गुरु एेसो वर दीजिए, करु मैं एेसो काज |
खुद भी उन्नत हो सकूं, सीखे सकल समाज |
————- बहुत खूब कहा आप ने .
सभी दोहे जोरदार है. बधाई आप को .
गुरु एेसो वर दीजिए, करु मैं एेसो काज |
खुद भी उन्नत हो सकूं, सीखे सकल समाज |
————- बहुत खूब कहा आप ने .
सभी दोहे जोरदार है. बधाई आप को .
गुरु ऐसो वर दीजिये ……..वाह ! बहुत बढ़िया रचना ।
बहुत बहुत आभार आदरणीय