मुक्तक/दोहा

दोहे (गुरु)

गुरु जग में सबसे बड़ा, कहते खुद जगदीश |
गुरु के चरणों में सभी,आज नवाओं शीश ||
गुरु के बिन ना मिल सके, जग में सच्चा ज्ञान |
गुरुवर के उपकार से, मिल जाते भगवान ||
गुरुवर भटकी नांव की, बन जाते पतवार |
भव सागर से सहज ही, देते पार उतार ||
विनयशील रहते सदा, नहीं तनिक अभिमान |
किया अनुग्रह आपने, देते उत्तम ज्ञान ||
गुरु एेसो वर दीजिए, करु मैं एेसो काज |
खुद भी उन्नत हो सकूं, सीखे सकल समाज ||

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]

5 thoughts on “दोहे (गुरु)

  • जवाहर लाल सिंह

    दोहे सुन्दर हैं रचे, गुरु के रूप अनूप
    गुरु दिखलावे राह नई, गुरु है ज्ञानहि भूप
    सादर

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    गुरु एेसो वर दीजिए, करु मैं एेसो काज |
    खुद भी उन्नत हो सकूं, सीखे सकल समाज |
    ————- बहुत खूब कहा आप ने .
    सभी दोहे जोरदार है. बधाई आप को .

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    गुरु एेसो वर दीजिए, करु मैं एेसो काज |
    खुद भी उन्नत हो सकूं, सीखे सकल समाज |
    ————- बहुत खूब कहा आप ने .
    सभी दोहे जोरदार है. बधाई आप को .

  • राजकुमार कांदु

    गुरु ऐसो वर दीजिये ……..वाह ! बहुत बढ़िया रचना ।

    • नीतू शर्मा

      बहुत बहुत आभार आदरणीय

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