गीत/नवगीत

अब बीत गयी वो बात बहुत

अब बीत गयी वो बात बहुत , अब बीत गयी वो रात बहुत ,

के जब ख्वाबों की दुनिया में हम सपने पाला करते थे

दर्द के इस अंधियारे में हम रोज़ उजाला करते थे

, के जब हमारे ख्वाबो में दो परियां उतरा करती थी ,

जब याद तुम्हारी इस दिल को कतरा कतरा करती थी ,

यादों के इस सावन में बीत गयी बरसात बहुत ।

अब बीत गई वो बात बहुत , अब बीत गयी वो रात बहुत।

 

के जब मेरे रूमालों में पंखुड़ियां बिखरा करती थी

जुलफैं भी गालों पर आने का हर रोज़ ही नखरा करती थी

जब प्रेम पत्र लिखने में ही रातें गुज़रा करती थी

निंदिया तेरी आँखों में हर सुबह बसेरा करती थी

सपनो के इस सागर में वो बीत गयी सौगात बहुत

अब बीत गयी वो बात बहुत , अब बीत गयी वो रात बहुत।

 

के जब मैं बागों से तेरे लिए तितलियाँ लाया करता था

पेड़ों से मीठे बेर और खट्टी इमलियां लाया करता था

के जब तू पीछे देख देख कर धीरे से मुस्काती थी

एक आँख झपकने से ही मै घायल हो जाया करता था

आँखों ही आँखों में दी है तूने मुझको मात बहुत

अब बीत गयी वो बात बहुत , अब बीत गयी वो रात बहुत ।

 

काश हो जाये वो बात अभी , काश हो जाये वो रात अभी

काश हो जाये वो सावन की भीगी सी बरसात अभी

काश हो जाये वो सपनो के सागर में सौगात अभी

काश हो जाये जो तूने दी थी आँखों आँखों में मात अभी

हो जाता ये सब कुछ गर होती अपनी औकात बहुत

अब बीत गयी वो बात बहुत , अब बीत गयी वो रात बहुत।

विजय गौत्तम

नाम- विजय कुमार गौत्तम पिता का नाम - मोहन लाल गौत्तम पता - 268 केशव नगर कॉलोनी , बजरिया , सवाई माधोपुर , राजस्थान pin code - 322001 फोन - 9785523446 ईमेल - [email protected] व्यवसाय - मैंने अपनी Engineering की पढाई Arya college , Kukas , jaipur से Civil engineering में पूरी की है एवं पिछले 2 सालों से Jaipur Engineering College , Kukas , jaipur में व्याख्याता के पर कार्यरत हूँ । ग़ज़लें लिखना बहुत अच्छा लगता है ।