गीत/नवगीत

बादल छा गए

क्यों आज तेरी यादों के घनघोर बादल छा गए

क्यों आज महफ़िल में तेरी पंछी वो पागल आ गए

जो कह रहे थे तुझसे मेरी सलामती का किस्सा

सुनकर तेरे उदास होठ धीरे से मुस्का गए

 

नदियां भी अब सूनी पड़ी है उस पनिहारिन के बिना

हवाओं ने भी मोड़ा है रुख कोई भी कारण बिना

जो कह रहे थे की सदा हर रोज खिल खिलाएंगे

वो फूल तेरी यादों में एक रोज़ में मुरझा गए

क्यों आज तेरी यादों के घनघोर बादल छा गए

क्यों आज महफ़िल में तेरी पंछी वो पागल आ गए

 

तारे भी अब तो आते हैं हर रोज़ पता पूछने

हो गयी हमसे अगर कोई खता पूछने

कहाँ गया वो चाँद इस पूनम की रात को

तेरे आने की राह में वो पलकों को बिछा गए

 

क्यों आज तेरी यादों के घनघोर बादल छा गए

क्यों आज महफ़िल में तेरी पंछी वो पागल आ गए

विजय गौत्तम

नाम- विजय कुमार गौत्तम पिता का नाम - मोहन लाल गौत्तम पता - 268 केशव नगर कॉलोनी , बजरिया , सवाई माधोपुर , राजस्थान pin code - 322001 फोन - 9785523446 ईमेल - vijaygauttam23@gmail.com व्यवसाय - मैंने अपनी Engineering की पढाई Arya college , Kukas , jaipur से Civil engineering में पूरी की है एवं पिछले 2 सालों से Jaipur Engineering College , Kukas , jaipur में व्याख्याता के पर कार्यरत हूँ । ग़ज़लें लिखना बहुत अच्छा लगता है ।

One thought on “बादल छा गए

  • मुकेश कुमार सिन्हा, गया

    क्यों आज तेरी यादों के घनघोर बादल छा गए….
    वाह

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