गीत/नवगीत

अब ये भी भला कोई बात है?

करते करते बात तुम्हारी ढल आई आधी रात है,

दिल कहता है सो जा पगले , अब ये भी भला कोई बात है? 

 

पहले तो तू बोला नहीं जब उस से नयन लड़ाए थे 

इश्क़ के सागर में जब गहरे गोते खाये थे

डूब गए इतना कि कश्ती और किनारा भूल गए

उभरेंगे कभी इश्क़ से तिनके का सहारा भूल गए

अब ला के दे वो तिनका तू अगर तेरी औकात है

उसे सोचे बिना सो जाना , अब ये भी भला कोई बात है?

 

जो साथ हमेशा देती है वो बस मेरी तन्हाई है

जो मेरे कदमो के साथ चले वो मेरी परछाई है

दुनिया वाले तो बस मतलब निकालने आते है

शीशे के घरों को देखकर पत्थर उछालने आते हैं

ऐ दिल तू भी धोकेबाज़ है , देता उसका साथ है

तू धड़कता भी है तो उसके लिए , अब ये भी भला कोई बात है ?

 

अरे उसके खातिर हमने अपने सारे रंग बदल डाले

खाना पीना जागना सोना सारे ढंग बदल डाले

बस ना बदला तो वो है इन भीगी आँखों का बहना

ये राज़ तुझे मालूम है तू और किसी से ना कहना

कि प्यार तो अब भी है उस से पर अब कहाँ वो बात है

बात बात में छोड़ा उसने , अब ये भी भला कोई बात है ?

 

ऐ दिल तू कहता है कि दुनिया में हसीं और भी हैं

अब पर्दा कर उस बेवफा से पर्दानशीं और भी है

ये बात अगर तू कहता है तो क्यों तू इतना रोता है

प्यार तो आखिर प्यार है प्यारे किसी किसी से होता है

क्या हुआ वो बेवफा निकली अरे ये भी इक सौगात है

मैं भी बेवफा हो जाऊं , अब ये भी भला कोई बात है ?

विजय गौत्तम

नाम- विजय कुमार गौत्तम पिता का नाम - मोहन लाल गौत्तम पता - 268 केशव नगर कॉलोनी , बजरिया , सवाई माधोपुर , राजस्थान pin code - 322001 फोन - 9785523446 ईमेल - vijaygauttam23@gmail.com व्यवसाय - मैंने अपनी Engineering की पढाई Arya college , Kukas , jaipur से Civil engineering में पूरी की है एवं पिछले 2 सालों से Jaipur Engineering College , Kukas , jaipur में व्याख्याता के पर कार्यरत हूँ । ग़ज़लें लिखना बहुत अच्छा लगता है ।