लेख : नारी का सम्मान हो
जिस तरह से एक शिकारी जाल फैलाता है और उसके जाल में शिकार खुद व खुद आकर फंस जाता है, उसी तरह कलयुग के कई नौजवान देश की नारियो, (बहन, बेटियो) की जिन्दगी को नरक के सामान दुःख दायी बर्बाद करने में लगे है और नारी को प्रेम जाल में फसाकर उसका उपयोग करके छोड़ देते है। जब तक नारी इस बात को समझती है, बहुत देर हो जाती है, और कही मुँह दिखाने के काबिल तक नही रहती, आत्म हत्या जैसा कदम उठा लेती है। हर महिला को अपनी जिन्दगी में एक मर्यादा रखना आवश्यक है उसे अपनी हद को लांघकर कभी कोई गलत कदम नही उठाना चाहिये, ताकि बाद में पछताना पड़े और पारिवारिक लोगो को उसकी बजह से शर्मिंदगी हो। उसके पिता जीते जी मर जाए।
ये बात हर बेटी को याद रखना चाहिये किसी के प्रेम में पढ़कर अपना तन,मन किसी को सौंप देना और अपने जन्मदाता को छोड़कर भाग कर प्रेम विवाह जैसे कदम उठाना हितकर नही है। इसके बहुत से उदहारण यही आसपास देखने को मिल जायेंगे। पुरुषो की मानसिकता को पता नही क्या हो गया है। खुद पर नियंत्रण नही है समय से पूर्व ही सब कुछ पाने की लालसा उन्हें गलत राह पर चलने और बुरी संगति इंसान के मस्तिष्क को पूर्णतः प्रदूषित कर देती है। उसकी सोच समझ नष्ठ हो जाती है और नीचता की सारी हदे पार कर बैठता है। इंटरनेट, टेलीविजन और अश्लील सामग्रियों ने मानव मन को बहुत दूषित किया है। छोटे- छोटे बच्चों की बाते सुने तो आप हैरान रह जायेंगे कि इतना सब ये कहाँ से सीख रहे है। जमाना पतन की और जा रहा है फिर भी कहते है देश का विकास हो रहा है।
स्वदेशी थोड़ा ही है हमारे देश में, देश हमारा धीरे-धीरे विदेशी हो रहा है। अन्य देशो की तरह बलात्कार, गुंडा गर्दी, छेड़छाड़ की घटनाये आम हो गई है, सुबह का अखबार उठाकर देखे तो कही न कही इस तरह की खबर से इंसान शर्मसार हो ही जायेगा। महिला को अपनी मर्यादा का सदैव ख्याल रखना चाहिये और प्रेम जाल से बचने का यत्न करना चाहिये। नारी को अपनी सुरक्षा के लिये खुद को कठोर, निर्भिक बनाना चाहिये और समय आने पर चंडी का रूप भी धरना पड़े तो पीछे नही हटना चाहिये। नारी शक्ति के आगे देव और महादेव भी शीश झुकाते है पुरुषो को भी इनका सम्मान करना होगा। तब ही इस तरह की घटनाओ को रोका जा सकता है अच्छे विचारो का आदान-प्रदान कर समाज और देश को स्वच्छ बनाया जा सकता है। जिससे मानव मात्र का कल्याण होगा और फिर किसी बहन की इज्जत पर दाग नही लगेगा और वो निर्भिक होकर सर उठाकर जी सकेगी।
— शिवेश अग्रवाल ”नन्हाकवि”
खिरकिया m.p.