कविता : हिन्दी भाषा
जो बोली जाती है … भारत में मेरे
कहलाए वो ‘हिन्दी’… पिछड़ों की भाषा !
आज सीख रहे हैं … मेरे देश में
तुतलाते स्वर भी… अँग्रेजी भाषा !!
सब भाषाओं की … जननी कहलाये
पर अपने ही घर में … है नाकारी जाए !
आ मिल दें सम्मान… के फिर से बदलें
ज्ञान – अज्ञान की … ये नई परिभाषा !!
आन है हिन्दी… मेरी शान है हिन्दी
सभ्यता की … पहचान है हिन्दी !
मिश्री सी मीठी… आलौकिक हिन्दी
है बसी ह्रदय में… ये पावन भाषा !!
बहु भाषा का … प्रसार भले हो
पर मेरी हिन्दी… सबसे ऊपर हो !
सर आँखों पर… बस जाए हिन्दी
मन में है बस… ये अभिलाषा !!
अंजु गुप्ता