एक दुखांत नागा प्रेमकथा ( नागालैंड की लोककथा )
एक गाँव में दो युवा प्रेमी रहते थे I वे सात वर्षों से एक – दूसरे से प्रेम करते थे लेकिन दोनों के माता – पिता उनकी शादी के खिलाफ थे I हताश होकर दोनों ने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया I युवक ने कहा – “ यदि साथ – साथ जीवन व्यतीत नहीं कर सकते तो मर अवश्य सकते हैं I चलो, नदी में कूदकर अपनी जीवन – लीला समाप्त कर लें तथा वादा करें कि पुनः हम उन दो पक्षियों या वृक्षों की भांति जन्म लेंगे जिन्हें अलग नहीं किया जा सकता I “ लड़की अपने प्रेमी के प्रति पूर्णतः समर्पित थी, अतः वह बेहिचक प्रस्ताव से सहमत हो गई I दोनों नदी में कूद गए I लड़की पानी में डूब गई परन्तु जल के स्पर्श से लडके को ऐसा लगा मानो वह सपने से जगा हो I उसने आत्ममंथन कर यह निष्कर्ष निकाला कि वह मरना ही नहीं चाहता था I वह नदी से बाहर आ गया I वह धीरे – धीरे दुखी मन से आगे बढ़ रहा था लेकिन एक चिड़िया लगातार उसका पीछा कर रही थी और चिल्ला रही थी – “ देखो, वह नायक जा रहा है जो मरने से भयभीत है I “ चिड़िया की आवाज निरंतर पीछा कर रही थी I युवक बेचैन हो गया I वह सोच रहा था – मेरी प्रेयसी बहादुर थी लेकिन मैं कितना डरपोक हूँ कि उसे नदी में छोड़कर बाहर आ गया I युवक वापस लौट गया और नदी में जाकर पुनः कूद गया एवं मौत को गले लगा लिया I लेकिन मरने के बाद दोनों के बीच का फासला और बढ़ गया क्योकि दोनों की मृत्यु के बीच समय का फासला था, साथ ही युवक ने नदी के दूसरे तट से छलांग लगाई थी I वे मरने के बाद भी मिलन सुख से वंचित रहे I
दोनों प्रेमी अनादिकाल से नदी के अलग – अलग तटों पर बांस के अकेले वृक्ष की तरह रह रहे हैं I गाँव के लोग उन अभिशप्त पेड़ों के स्पर्श से भी डरते हैं I