अस्तित्व
सजाया गया लाल रंग का जोड़ा
रंगाया था उसे मेरे अरमानो के खून से
चूड़ियाँ भरी गयी हाथो में
मांग में सिंदूर किसी के नाम का
पायल, बिछुवे, झुमके, नथनी
कितनी करनी कितनी कथनी
मिटा दिए गये मुझ से
मेरे ही होने के सारे प्रमाण
में एक पूरी की पूरी देह
और उसमे बसती मेरी आत्मा
मुझमे मेरा नही रहा कुछ भी बांकी
मेरे अस्तित्व को जला दिया गया उस अग्नि में
जिसे माना ईश्वर का साक्षी
हाँ, साक्षी ही तो थे ईश्वर
देख ही तो रहे थे सब कुछ भस्म होते हुए
और ख़त्म हो गया एक जीवन वही
ख़त्म हो गया
— सरिता पंथी