गीतिका/ग़ज़ल

तेरा भी मेरा भी

अल्लाह गर हैं तेरे भगवान हैं मेरे भी
है लाल लहू तेरा तो लाल है मेरा भी

इंसान रहो बनके यह सबने सिखाया है
यह देश तो है पहले तेरा भी मेरा भी

बांटा है हमने रब को ऐलान कर दो सबको
अब देश ना बांटेंगे ये तेरा भी है मेरा भी

हिन्दू हों चाहे मुस्लिम ‘ हम एक माँ के बेटे
मिलजुल कर बढ़ें आगे ‘ यह देश हमारा है

बाजू ही हैं हम दोनों ‘ एक जिस्म हमारा है
यह भी मुझे प्यारा है ‘ वह भी मुझे प्यारा है

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।