कुछ बीज प्रेम के बो जाऊँगी
कुछ बीज प्रेम के बो जाऊँगी
मर कर भी अमर मैं हो जाऊँगी
बैठ गया यदि मैल हृदय में
अपने अंसुअन से धो जाऊँगी
मैं बहुत प्रेम करती हूँ आपसे
आपके प्रेम में मैं खो जाऊँगी
कुछ गीत लिखूंगी आपके लिए
और चिर निद्रा में सो जाऊँगी
भरना मांग जब सजूं चिता पर
मैं अमर सुहागन हो जाऊँगी
©किरण सिंह