कविता

कविता : गौ माता

गलियों में भटके चारे को,
कूड़ा – कचरा सब खाए !
माँ की तरह पाले सबको,
है गौ माता कहलाए !!

करदे देना जब बँद दुग्ध,
सड़कों पर छोड़ी जाए !
वेदों में थी जो पूज्य कभी,
अब लाठी से हांकी जाए !!

नियति देखो अब गौ-धन का,
किया जाए है निर्यात !
काट रहे इसको भक्षक बन के,
जो कहते थे इसे मात !!

अंजु गुप्ता


*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed