लघुकथा

दो लोककथायें

खासी लोककथा (मेघालय )

कुत्ता और मनुष्य के साथ रहने की कथा

प्राचीनकाल में सभी प्राणी एक साथ रहते थे I वे एक साथ बाजार जाते, सामान खरीदते तथा हाट का निर्माण भी संयुक्त रूप से करते थे I लुरी लुरा सबसे बड़ा बाजार था जहाँ सभी जानवर अपने सामानों की खरीद – बिक्री के लिए जाते थे I उसी हाट में कुत्ता भी अपना सडा – गला टमाटर बेंचने के लिए लाता था I कोई भी प्राणी उसका टमाटर नहीं खरीदता था I वह दिन भर आवाज लगाता रहता पर उसका कोई खरीददार नहीं था I एक दिन सभी जानवर कुत्ते की दुकान के सामने एकत्रित हुए और कहा – तुम सड़े- गले, बदबूदार और गंदे सामान बेंचने के लिए क्यों लाते हो ? सभी जानवरों ने उसके सामान को नीचे गिराकर कुचल दिया I कुत्ता दुखी हुआ और उसने बाघ से शिकायत की लेकिन बाघ ने उसी पर जुर्माना लगा दिया I जब कुत्ते ने देखा कि कोई भी जानवर उसका पक्ष नहीं ले रहा है तो अंततः वह मनुष्य के पास गया I मानव ने कहा – “ आओ, हमारे साथ रहो, हमलोग तुम्हारी सहायता करेंगे और जानवरों से प्रतिशोध लेंगे I “ कुत्ता राजी हो गया I तबसे कुत्ता मनुष्य के साथ रहने लगा I

सिंहफ़ो लोककथा ( अरुणाचल प्रदेश )
बाघ और बिल्ली की कथा
प्राचीनकाल में मनुष्य और जानवर सभी एक साथ रहते थे I उनमे भाषा संबंधी कोई अंतर नहीं था I एक दिन बाघ शिकार कर वापस आया I अपने साथ वह एक हिरन को मारकर लाया था I वह बहुत भूखा था I बाघ ने बिल्ली से कहा कि वह पडोसी गाँव से आग मांगकर जल्दी लाए और मांस पकाकर तैयार करे I बिल्ली आग लेने के लिए पडोसी गाँव में चली गई I उसने एक बूढी महिला को सुगंधित चावल का भात बनाते देखा तो उसके मुख में पानी आ गया I उसने बूढी महिला से कहा कि बहुत भूख लगी है, कुछ खाने को दो I बूढी ने उसे खाने के लिए चावल दिया I चावल बहुत स्वादिष्ट और लसीला था I लसीला होने के कारण उसे खाने में देर हो गई I भूखा शेर इंतजार में घंटों बैठा रहा I क्रोध और भूख से बेहाल होकर वह बिल्ली को खोजने निकला I उसने मन ही मन प्रतिज्ञा की कि यदि बिल्ली रास्ते में मिल गई तो उसे कच्चा चबा जाएगा I बिल्ली भी यह बात जान गई थी I इसलिए वह छिप गई I उसी समय से बाघ और बिल्ली दुश्मन बन गए I आज भी बिल्ली बाघ के भय से छिपती रहती है I

*वीरेन्द्र परमार

जन्म स्थान:- ग्राम+पोस्ट-जयमल डुमरी, जिला:- मुजफ्फरपुर(बिहार) -843107, जन्मतिथि:-10 मार्च 1962, शिक्षा:- एम.ए. (हिंदी),बी.एड.,नेट(यूजीसी),पीएच.डी., पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक,सांस्कृतिक, भाषिक,साहित्यिक पक्षों,राजभाषा,राष्ट्रभाषा,लोकसाहित्य आदि विषयों पर गंभीर लेखन, प्रकाशित पुस्तकें :1.अरुणाचल का लोकजीवन 2.अरुणाचल के आदिवासी और उनका लोकसाहित्य 3.हिंदी सेवी संस्था कोश 4.राजभाषा विमर्श 5.कथाकार आचार्य शिवपूजन सहाय 6.हिंदी : राजभाषा, जनभाषा,विश्वभाषा 7.पूर्वोत्तर भारत : अतुल्य भारत 8.असम : लोकजीवन और संस्कृति 9.मेघालय : लोकजीवन और संस्कृति 10.त्रिपुरा : लोकजीवन और संस्कृति 11.नागालैंड : लोकजीवन और संस्कृति 12.पूर्वोत्तर भारत की नागा और कुकी–चीन जनजातियाँ 13.उत्तर–पूर्वी भारत के आदिवासी 14.पूर्वोत्तर भारत के पर्व–त्योहार 15.पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक आयाम 16.यतो अधर्मः ततो जयः (व्यंग्य संग्रह) 17.मणिपुर : भारत का मणिमुकुट 18.उत्तर-पूर्वी भारत का लोक साहित्य 19.अरुणाचल प्रदेश : लोकजीवन और संस्कृति 20.असम : आदिवासी और लोक साहित्य 21.मिजोरम : आदिवासी और लोक साहित्य 22.पूर्वोत्तर भारत : धर्म और संस्कृति 23.पूर्वोत्तर भारत कोश (तीन खंड) 24.आदिवासी संस्कृति 25.समय होत बलवान (डायरी) 26.समय समर्थ गुरु (डायरी) 27.सिक्किम : लोकजीवन और संस्कृति 28.फूलों का देश नीदरलैंड (यात्रा संस्मरण) I मोबाइल-9868200085, ईमेल:- [email protected]