प्रेरक दोहे
अब तो अपनी सोच को,बदलो पाकिस्तान ।
घर में घुसकर मारते,जब लेते हम ठान ।।
निकल गया जो हाथ से,बाद मिले नहि तोय ।
बचा हुआ जो पास है,काहे उसको खोय ।।
सदा समय का ध्यान रख,न करो व्यर्थ व्यतीत ।
अंत विजय तेरी रहे,कहे जगत की नीति ।।
काल घडी नित बढ़ रही,समय रहा है बीत ।
आज अभी जो चल रहा,बीते बने अतीत ।।
बीते पल भूलो नही,बीते से लो ज्ञान ।
कहाँ कमी थी रह गयी,उसका रखना ध्यान ।।
समय सीख देता सदा,रखो समय का ध्यान ।
बीते बाते याद रख,करो आज निर्माण ।।
मौन साद मौनी बनो,तजो दोष वाचाल ।
मन भीतर जो व्याप्त है,कहो नही वह हाल ।।
धक धक धक धड़के सदा,करे रक्त संचार ।
भावो से परिपूर्ण है,यही हृदय का सार ।।
भोर भयी भानू उठा,उदधि क्षीर के पार ।
कर्मवीर करले कर्म,भली करे करतार ।।
प्रेम रूप गुण से रहित,लेश मात्र नहि काम ।
बना समर्पण के लिये,पर ये नही गुलाम ।।
भानु उदय रक्तिम हुआ,छिपे रूप ले लाल ।
सुख दुख में तुम भी रखो,सदा एक ही चाल ।।
साँझ सवेरे सब करो,राम नाम का जाप ।
जन्म सफल प्रभुजी करे,और नष्ट सब पाप ।।
=====================
✍नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना