ग़ज़ल
हर एक बात पे यहां तो बवाल होता है।
और जवाब में छुपा फिर सवाल होता है।
तुम न समझे खामोशियों का वो सबब मगर ;
जब प्यार न हो उसे कहां मलाल होता है।
चलो फिर नए सिरे से सोचेंगे खुद को भी ;
खुद में रंग दे कहां वो गुलाल होता है।
तन्हाई मिलती है नाकाम मुबोब्बत में ;
ऐसे में फिर जीना भी मुहाल होता है।
“कामनी”सच जान कर भी जाने क्यों आशिक ;
डूबते इश्क में और यह हाल होता है।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !