गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

हर एक बात पे यहां तो बवाल होता है।
और जवाब में छुपा फिर सवाल होता है।

तुम न समझे खामोशियों का वो सबब मगर ;
जब प्यार न हो उसे कहां मलाल होता है।

चलो फिर नए सिरे से सोचेंगे खुद को भी ;
खुद में रंग दे कहां वो गुलाल होता है।

तन्हाई मिलती है नाकाम मुबोब्बत में ;
ऐसे में फिर जीना भी मुहाल होता है।

“कामनी”सच जान कर भी जाने क्यों आशिक ;
डूबते इश्क में और यह हाल होता है।

कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |