कविता

वो है बेटी (कविता)

बाबुल की दहलीज को जो न भूल पाये
वो है बेटी
जाते जाते भी आंसुओं से आंगन सींच जाए
वो है बेटी
सारा बचपन जो लड़कपन से बिताती रही
एक पल में खुद में समा जाती है
वो है बेटी
वो हंसी वो दुलार पीछे छोड़
अजनबी दुनिया को अपना बना लेती है
वो है बेटी
आँखों से आंसू न निकलने दिए आज तक जिसके
आज अपने ही आंसुओं को
मुंह छिपाए पी जाती है
वो है बेटी
कोमल पुष्प समान समझते हैं जिसे
पराये घर जाकर
कठोर बन सह जाती है वो सब कुछ
वो है बेटी
दोनों घर आंगनों का
एक सामान सम्मान जो देती हैं
वो है बेटी
इसलिए कहता हूँ
मत करना भेदभाव
बीटा हो या बेटी
वक़्त पे जो साथ छोड़ जाए वो कोई भी हो
पर पल पल जो साथ देती है
वो है बेटी
#महेश

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]