कविता

गरीबी और पिता पुत्र का साथ

गरीबी से त्रस्त

पिता पुत्र

लकड़ी बेचते दोनों

शिक्षा शून्य

बाजार में आसानी से

शिक्षित लोगों से

सहज में लूटते

पिता पुत्र

और गरीब होते जाते

पट्टेदार कच्छा

फटी मैली बनियान

दोनों की

पिता पुत्र

अब

भाई भाई से

अथवा

आदि मानव की

शक्ल में

कनकी चावल

कंकड़ वाले

लकड़ी बेचने से प्राप्त

चंद पैसे से

खरीदने आते

धन्य है

इनका जीवन

और

जीवन देने वाले का।

अनिल कुमार सोनी

अनिल कुमार सोनी

जन्मतिथि :01.07.1960 शहर/गाँव:पाटन जबलपुर शिक्षा :बी. काम, पत्रकारिता में डिप्लोमा लगभग 25 वर्षों से अब तक अखबारों में संवाददाता रहा एवं गद्य कविताओं की रचना की अप्रकाशित कविता संग्रह "क्या तुम समय तो नहीं गवां रहे हो "एवं "मधुवाला" है। शौक :हिंदी सेवा सम्प्रति :टाइपिंग सेंटर संचालक