कविता

अशोक

अशोक

है

हरे भरे वृक्ष का नाम

अशोक

वाटिका भी थी

फिर भी

अमर रावण को शोक क्यों हुआ!

माता सीता भी को

कष्टों का सामना करना पड़ा

अशोक वृक्ष का प्रभाव

कहाँ गया!

अशोक

अशोक में अ लगाने से

शोक का दमन नहीं होता

कर्म से

रावण अ शोक नहीं था

पूर्ण और निरंतर

सत कर्म

करते रहने से ही

अशोक बनता है

— अनिल कुमार सोनी

 

अनिल कुमार सोनी

जन्मतिथि :01.07.1960 शहर/गाँव:पाटन जबलपुर शिक्षा :बी. काम, पत्रकारिता में डिप्लोमा लगभग 25 वर्षों से अब तक अखबारों में संवाददाता रहा एवं गद्य कविताओं की रचना की अप्रकाशित कविता संग्रह "क्या तुम समय तो नहीं गवां रहे हो "एवं "मधुवाला" है। शौक :हिंदी सेवा सम्प्रति :टाइपिंग सेंटर संचालक