कविता

प्यारी बदरी

प्यारी बदरी

जरा धीरे बरस तू मेघा रानी
हमें मुश्किल में डाले तेरा पानी ।
घर पे छत तो है बस नाम की
पर ए है नहीं किसी काम की ।
धरा पे जो जल मेघा तू बरसाए
तेरा बरसता वो जल हमें सताए ।
जब तू गरज गरज के गुस्से में आए
तेरा वो गरजता गुस्सा हमें डराए ।
चमक कर जब तू बिजली गिराए
देख बच्चे हमारे सहमें, घबराएं ।
तेरा झरझर जल घर तर कर जाए
मेरी घर की लक्ष्मी देख आंसू बहाए ।
न कहूं मैं तुझसे की तू बरसना छोड़ दे
मेरी खातीर तू सब से नाता तोड़ ले ।
बस करता हूं मैं तुझसे विनती कर जोड़ के
अब ना डराना मेरे बच्चों को अपने शोर से ।
सुन, जरा बिजली भी तू थमके चमका
मेरी प्यारी बदरी अब जल धीरे बरसा ।

मुकेश सिंह
सिलापथार (असम)

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl