कविता :अनमोल रत्न
मेरी दोस्त प्रीति को समर्पित
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कुछ कही
कुछ अनकही
कुछ जानी
कुछ बेगानी
कुछ यादें
कुछ फरियादें
बिन बोले समझना
दिल का हाल
थी अपनी दोस्ती
बेमिसाल
शिकवा है तुमसे ए मेरे यार
मिलने की नहीं अब कोई आस
तू अनमोल रत्न थी मेरे लिए
अब जा बैठी है रब के पास !!
अंजु गुप्ता