कविता

कविता :अनमोल रत्न

मेरी दोस्त प्रीति को समर्पित

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कुछ कही
कुछ अनकही

कुछ जानी
कुछ बेगानी

कुछ यादें
कुछ फरियादें

बिन बोले समझना
दिल का हाल

थी अपनी दोस्ती
बेमिसाल

शिकवा है तुमसे ए मेरे यार
मिलने की नहीं अब कोई आस

तू अनमोल रत्न थी मेरे लिए
अब जा बैठी है रब के पास !!

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed