कविता

कविता : राम जाने

एक विश्वविद्यालय में
रावण के वंशजों ने
राम के वंशज का
पुतला जलाया
और जोर-जोर से
हो-हल्ला मचाया
देखो-देखो हमने
रावण को जलाया
ये देख रावण ने
अपना सिर खुजाया
और उनकी मूर्खता पर
मंद-मंद मुस्कुराया
फिर अपने वंशजों से
हँसते हुए बोला
बेटा राम से
लिया था मैंने पंगा तो
उन्होंने मुझको
लगा दिया था ठिकाने
अब तुमने उसके
वंशज को छेड़ा है
अब तुम्हारा क्या होगा
ये तो राम ही जाने।

लेखक : सुमित प्रताप सिंह

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सुमित प्रताप सिंह

मैं एक अदना सा लेखक हूँ और लिखना मेरा पैशन है। बाकी मेरे बारे में और कुछ जानना चाहते हैं तो http://www.sumitpratapsingh.com/ पर पधारिएगा।