“बदलते गये लोग!!”
बदलती गई दुनिया बदलते गये लोग।
हर समय पर ख्वाब रचते गये लोग।
पहन कर लोग यहां स्वार्थ की खोलड़ी।
मिटाते हुए दूसरों को मिटते गये लोग।
इतनी बढ गई है आज यहां मगजमारी।
खुशी के आगे खुशियाँ छिनते गये लोग
कर गये पार मानवता की हदे सारी।
अब मानवता न रही लुटते गये लोग।
गरीबों की अब यहाँ दुनिया ना रही।
वक्त हर जगह शोषण करते गये लोग।
यह कैसी पनप रही है दुनियादारी।
बदलती रही हसरतें बदलते गये लोग।
रमेश कुमार सिंह /२०-०५-२०१६