मुक्तक/दोहा

दोहे

जिनके रहमो कर्म से, बसता घर परिवार ।
तुमको फिर वे ही बड़े, लगते क्यूं बेकार ।।
रोक टोक इनकी भली, नहीं बुरी फटकार ।
इनकी छाया में हमे, मिलते है संस्कार ।।
नहीं तुच्छ बूढे-बड़े, है समाज की शान ।
फिर भी इनका हो रहा, क्यूं इतना अपमान ।।
बेबस तन मन को लिये, सेहत से लाचार ।
दीन दशा इनकी बड़ी, सहते अत्याचार ।।
मूक निगाहे देखती, बनकर के लाचार ।
टूटी आशाएं सभी, उजड़ गया संसार ।।

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- [email protected]