कविता

कविता : माँ

सींचें लहू से,
आँचल में सिमटा प्यार !
माँ ही है संसार ! !

गर्दिशों की धूप में,
आँचल की देती छाँव !
ऐसी होती है माँ ! !

माँ की गोद,
जन्नत समान !
माँ रब का वरदान ! !

निस्वार्थ प्रेम,
जो बच्चों पर बरसाए !
वो माँ कहलाए ! !

है देवी रुप,
बिन माँ जीना दुश्वार !
चरणों में स्वर्ग का द्वार ! !

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed