कविता : माँ
सींचें लहू से,
आँचल में सिमटा प्यार !
माँ ही है संसार ! !
गर्दिशों की धूप में,
आँचल की देती छाँव !
ऐसी होती है माँ ! !
माँ की गोद,
जन्नत समान !
माँ रब का वरदान ! !
निस्वार्थ प्रेम,
जो बच्चों पर बरसाए !
वो माँ कहलाए ! !
है देवी रुप,
बिन माँ जीना दुश्वार !
चरणों में स्वर्ग का द्वार ! !
अंजु गुप्ता