मुक्तक/दोहा मुक्तक *महातम मिश्र 28/10/201602/11/2016 कृष्ण राधिका की छवि, दीपक रहा निहार सकुच रहीं हैं राधिका, मोहन दरश दुलार पीत वरण धरि मोहिनी, श्याम वरण रंगाय ओट हथेली की करें, चाहत लौ उंजियार॥ — महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी