मुक्तक/दोहा

मुक्तक

कृष्ण राधिका की छवि, दीपक रहा निहार 14721476_1149064451813232_281501334868730979_n

सकुच रहीं हैं राधिका, मोहन दरश दुलार

पीत वरण धरि मोहिनी, श्याम वरण रंगाय

ओट हथेली की करें, चाहत लौ उंजियार॥

— महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ