कविता

कविता : याद मेरी क्या आई थी ?

भुला के वादे…
भूला के कसमें लाए डोली…
किसी और की सजना उतर के डोली,
जब आँगन तेरे उसने पायल छनकाई थी…
सच कहना एे साजन मेरे,
तुम्हें याद मेरी क्या आई थी ?

कन्धे पर रख सर…
अक्सर तेरे गुजरते थे कभी…
दिन रात ये मेरे सामने आ जब,
उसने तेरे चूड़ी अपनी खनकाई थी…
सच कहना एे साजन मेरे,
तुम्हें याद मेरी क्या आई थी ?

बेकरार लम्हों में चलते…
रुक -रुक के तेरे सामने आ,
उसने खुशबू से साँसें तेरी महकाई थी…
सच कहना एे साजन मेरे,
तुम्हें याद मेरी क्या आई थी ?

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed