“शक्ति छंद”
मापनी- 122 122 122 12, 10- 8 पर यति, पदांत- लघु गुरु
मना लो गले से लगालो मुझे
तमन्ना तुम्हारी मनालो मुझे।।
भटकने न दो आस मेरी वफ़ा
न होती जुदा खास मेरी वफ़ा।।
निगाहें रहम की पियासी नहीं
न रखती वहम मैं शियासी नहीं।।
अरज आरती दीप आहें भली
चली मनचली आप अपनी गली।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी