कविता

“पिंडिया”

पिंडिया लगाउंगी, सखियाँ बुलाऊंगी
आज बाबुल दुवरा गोवर्धन बनाउंगी
कजरी के गोबर व भइया के जौहर
एक ही छलांगां पहाड़ कूद जाऊंगी।।
चुनचुन चिचिहड़ा घासपाती मकहड़ा
गन्ने के पोरवा ले बनाउंगी रमकड़ा
मांटी की खपरी पहाड़ों की बखरी
भांवर घुमाउंगी गोबरधन सड़सड़ा।।
पिंडिया की रातजग दीया मशाला
पोखर तालाब साध मन के फुलाला
घुमि घुमि गाऊँगी नैहर की गलियां
शीतली बयार लहरे पुअरा तपाला।।
माई के मोहिया बिरना के छहियाँ
अन्नकूट भाईबीज पकड़े बहिनिया
भोरी उमरिया में गजबे मजा बा
गारी आशीष एक दूजे की बँहियाँ।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ