गीत : लगे मानसिक रोगी से
(दिल्ली में आत्महत्या करने वाले रिटायर्ड सैनिक रामकिशन की आत्मा से बातचीत करती और पप्पू -कजरी को जवाब देती मेरी नयी कविता)
ना मर्यादित से राम दिखे, ना किशन दिखे तुम योगी से
ए रामकिशन तुम हमें लगे बस एक मानसिक रोगी से
खुदकुशी करो, संकट इतना घनघोर नही हो सकता है
सच्चे सैनिक का दिल इतना कमज़ोर नही हो सकता है
फौजी तो होता है दिलेर, हर मुश्किल से लड़ जाता है
दुश्मन की तोपों के सम्मुख सीना लेकर अड़ जाता है
फौजी वो है जो जीवन की हर मुश्किल से टकराता है
पत्नी बच्चों से दूर बहुत, सरहद पर फ़र्ज़ निभाता है
फौजी बैरागी होता है, जीवन भर त्यागी होता है
वर्दी का मान बढ़ाता है, बिलकुल बेदागी होता है
फौजी तो सब हालातों में, हर काम जतन से करता है
वेतन से कहीं बहुत ज़्यादा, वो प्यार वतन से करता है
विश्वास वतन का होता है, फौजी भारत की आशा है
फौजी ही जग में एक मात्र, बस हिम्मत की परिभाषा है
लेकिन तुमने ओ रामकिशन, ये कैसा चित्र दिखाया है
हो गए सियासी हथकंडे, फौजी का मान घटाया है
तुम नेताओं की बातों में आकर के बड़े शिकार हुए
कुछ वोट बढ़ेंगे पप्पू के, तुम चोरों का आहार हुए
अरविन्द केजरीवाल तुम्हारी मौत “करोड़ी” करता है
सीमा पर जो कुर्बान हुआ, घर उसका तिल तिल मरता है
छोडो शहीद की उपमाएं, मैं आज बहुत घबराता हूँ
सच तो यह है तुमको फौजी कहने में भी शर्माता हूँ
भर्ती होते हर फौजी की, तुमको उमीद कैसे बोलूं
तुम कायरता की मौत मरें, तुमको शहीद कैसे बोलूँ
भारत का फौजी भारत के अहसास नही खा सकता है
गोली सीने पर खा लेगा सल्फास नही खा सकता है
— कवि गौरव चौहान