गीतिका/ग़ज़ल

जम्हूरियत की आंधी में सत्ता दहल जाएगी

आवाज़ क्यों नहीं इन दीवारों को चीर कर आएगी,
इतना जोर से बोलेंगे कि हुक्मरानों की कुर्सियां हिल जाएगी।

सियासत के दांव पेंच हम पर न आजमाना,
जम्हूरियत की आंधी में सत्ता दहल जाएगी।

यह वक़्त है अपने हाथ उठाने का उनके विरुद्ध,
वरना उनकी आरियां हमारे सीनों पर चल जाएगी।

जिस दिन बेकाबू हो उठी शांत सी जलधारा,
ये भीड़ शहंशाहों को भी कुचल जाएगी।

गुरुर में डूबे राजा से मसली हुई कली ने कहा,
तुम्हें भी किसी दिन प्रजा मसल जाएगी।

कुछ काम करके दिखाना होगा राजनेताओं को,
जनता कब तलक आश्वासनों से बहल जाएगी।

विनोद दवे

नाम = विनोदकुमारदवे परिचय = एक कविता संग्रह 'अच्छे दिनों के इंतज़ार में' सृजनलोक प्रकाशन से प्रकाशित। अध्यापन के क्षेत्र में कार्यरत। विनोद कुमार दवे 206 बड़ी ब्रह्मपुरी मुकाम पोस्ट=भाटून्द तहसील =बाली जिला= पाली राजस्थान 306707 मोबाइल=9166280718 ईमेल = [email protected]