एक मुक्तक ताज़ा तरीन हालात पर,,,,,,
तोहमतें हम पर लगाकर वो शिकारी हो गए
पोल जब खुलती गयी तो खुद भिखारी हो गए
नोट की जो गड्डियां थीं दे गयीं उनको दगा
गु्लक्कों को तोड़ कर चिल्लर फरारी हो गए।
,,,,गुंजन अग्रवाल
तोहमतें हम पर लगाकर वो शिकारी हो गए
पोल जब खुलती गयी तो खुद भिखारी हो गए
नोट की जो गड्डियां थीं दे गयीं उनको दगा
गु्लक्कों को तोड़ कर चिल्लर फरारी हो गए।
,,,,गुंजन अग्रवाल