बेहतर है
व्यभिचार की लालसा में
आदमी हैवान जैसा हो गया
आज के इंसान से तो
जानवर भी बेहतर है ।
विष भरी जुबां से
तीखे तीर निकलते है
कभी-कभी कुछ बोलने से
मौन रहना बेहतर है ।
मुश्किल हालातो में
छिड़ जाती अपनों से जंग
रिश्तों की खातिर कुछ जंगो में
हार जाना बेहतर है ।
अतिनिडरता के कारण
कर जाते हदे पार सभी
कभी-कभी इंसान का
डर जाना ही बेहतर है ।
नाजुक मिजाज मत बनों
लोग कमजोरियां पकड़ते है
किसी के सामने रोने से तो
मुस्कुरा के गम छुपाना बेहतर है ।