हाकलि छ्न्द [4+4+4+2=14]
कलियुग चाहत करता नर ।
भूषण भूषित रत्नाकर ।
सूरज किरणें हरती तम ।
कविवर शारद कविता वर ।
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मनोज मानव प्रेमी बन ।
सीढ़ी अम्बरधरती मन ।
दुनियाँ रोशन करता रवि ।
नूतन कविता रचता कवि ।
कलियुग चाहत करता नर ।
भूषण भूषित रत्नाकर ।
सूरज किरणें हरती तम ।
कविवर शारद कविता वर ।
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मनोज मानव प्रेमी बन ।
सीढ़ी अम्बरधरती मन ।
दुनियाँ रोशन करता रवि ।
नूतन कविता रचता कवि ।