आवाहन
कहा था उसने आउंगा तो
कुछ अलग कर जाउंगा ।
तुम्हारे नन्हे बच्चों के लिए
एक नया सवेरा लाउंगा ।
होगा उनका घर अपना
पड़ेगा ना उनको भूखा रहना ।
पढ़-लिखकर कुछ बन जाएंगे
और देश का मान बढ़ाएंगे ।
पर उसने देखा आकर खाली थी
जनता की भरी तिजोरी !
मायूस हो बैठी थी जनता
चोर,नेता बन कर गए थे चोरी ।
कोयले से मुंह किया था काला
2जी ने भरी थी उनकी थाली ।
खेल-कूद में मचाया था लूट
और हर दिन थी उनकी दिवाली ।
त्राहि-त्राहि जनता को
दिख गया था एक किरण ।
जनता का सेवक सज हुआ
करने को एक प्रहार भीषण ।
चोरी की सभी नोटों पे
फेंक दी थी उसने स्याही ।
लूट गए एक पल में वो
उनकी मिट गई उम्मीद सारी ।
जनता ने भी दुख सहा
पर मुंह से उफ्फ तक न कहा ।
जनता हो ली ‘सेवक’ संग
और जलने लगा उनका जहां ।
संसद से सड़क तक
आज कोई न था उनकी सुनने वाला ।
देश बंद का एलान हुआ
पर मिल रहा न संग चलने वाला ।
करता हूं विरोध मैं भी
भ्रष्टाचार के समर्थन का ।
मिट रहा साम्राज्य है आज
पाप सने काले धन का ।
उजड़ रही है उनकी बगिया
तो वे चिंखेंगे, चिलायेंगे ही ।
अपनी डूबती कस्ती को
लाख कोशिशों से बचाएंगे ही ।
पर तुम साथ रहना मोदी के
वे उम्मीदों का सवेरा लाएंगे ।
यकीन कर लो मेरे प्यारों
‘मोदी’ एक नया भारत बनाएंगे ।
— मुकेश सिंह
सिलापथार (असम)
मो०- 9706838045