एक छोटी सी चाह
कह दो जाके अमीरों से
दौलत की हमको चाह नहीं ।
थोड़ी खुशीयां मिल जाये तो
गम की हमें परवाह नही ।
ठंठ में कंबल मिल जाये जो
और घर में दो वक्त की रोटी हो ।
तन पर हो अपने लिबास पूरे
जेब में ना बेईमानी की बोटी हो ।
मेहनत से मिले चार पैसे से
हम सारी चाहतें पुरी कर लेंगे ।
दो पैसे का सौदा होगा
दो पैसों में बच्चे पढ़ लेंगे ।
चांदनी की शीतलता से
हम जीवन में उजियारी कर लेंगे ।
महकती फूलों से रंग चुराकर
अपने जीवन में सबरंग भर लेंगे ।
प्रभु तुझसे है बस यही विनती
सदमार्ग पे हमको लिये चलना ।
अमीरी की चमक पाने को
पड़े ना हमें पाप की आंच में जलना ।।
— मुकेश सिंह
सिलापथार, असम
09706838045