कविता

राम राज्य

मोदी राज में रामराज्य आ गया
भई , हमें तो खूब भा गया l
हमारे पास 500 और 1000 के
कई नोट थे ,
हम हँस – हँसकर
लोटपोट थे ,
क्योंकि ,
हमने सोचा कि हम भी कुछ
भला कर पायें
पुराने जायें , तो हम भी
कुछ राहत पायें l
हमने दरवाज़े खुले रखे थे
लोग आ – जा रहे थे ,
ताक – ताक जा रहे थे l
पर , नोटों के पास पड़ा
किसी का साया नहीं

हाय ! नोट उठाने या चुराने
कोई भी आया नहीं l

— रवि रश्मि ‘अनुभूति’