कविता

कविता : मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ

चाहूं स्वतंत्र, उन्मुक्त गगन
भरूँ हौसलों की ऊँची उड़न !
कोई अदृश्य खूँटी न बाँधे मुझे…
कि मैं नारी हूँ ! !

ख्वाहिशें अपनी, सपने अपने
पग बाँधे न बेड़ी, मेरे अपने !
न त्याग की मूर्ति बनना पड़े…
कि मैं नारी हूँ ! !

मैं नव पथ का निर्माण करूँ
चट्टान काट कर आगे बढ़ूँ !
कोई पुरुष पंख न काटे मेरे…
कि मैं नारी हूँ ! !

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed