गज़ल
चोट खाकर खिलखिलाता हूँ,
टूटकर भी मैं मुस्कुराता हूँ,
तू मेरा सब्र आज़माए जा,
मैं तेरा जब्र आज़माता हूँ,
आँख को देके ख्वाब का लालच,
बड़ी मुश्किल से मैं सुलाता हूँ,
देखता है तू जब मुहब्बत से,
तेरा हर ज़ुल्म भूल जाता हूँ,
तुम्हें मिलना था मेरे हमदम से,
आओ तनहाई से मिलाता हूँ,
दर्द हद से गुज़रता है जब भी,
मैं कोई गीत गुनगुनाता हूँ,
करीब से देखा यारों को जबसे,
दुश्मनों को गले लगाता हूँ,
आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।