गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कुर्बानियों की सफ में नया नाम लिख गया
दुनिया के वास्ते कोई पैगाम लिख गया

हिन्दू हूँ या कि मैं हूँ मुसलमाँ पता नहीं
था ध्यान में खुदा के मगर राम लिख गया

ये जीत प्यार की है कि नफरत की हार है
होठों से अपने आज वो इक जाम लिख गया

खूँ से चिराग मैंने जलाया था एक बार
हिस्से में मेरे तब से यही काम लिख गया

वो भ्रम था मेरे मन का ‘शान्त’ या कि और कुछ
यादों के जिस धुँधलके को मैं शाम लिख गया

देवकी नन्दन ‘शान्त’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ