गीत : अमावस की रातें
ये अमावस की रातें, हमसे करती हैं बातें।
छेड़ जाती हैं मन को, चाँदनी की बरातें।
कुछ उजड़ते घरौंदे, टूटते कितने सपने।
गैर नजदीक आते, छोड़ जाते हैं अपने।
लोग सपने दिखाके तोड़ लेते हैं नाते।
ये अमावस………………………..
कितनी गुमनाम चोटें, कितने बदनाम किस्से।
हर कोई मौज लेगा, क्यों कहें हम किसी से?
प्रेम हाला बताकर, लोग आँसू पिलाते।
ये अमावस……………
कब बदल ले ये चेहरा ये तो इंसानियत है।
वक्त के संग बदलना, इसकी इक खासियत है।
ये रुला देगी तुमको बस हँसाते हँसाते।
ये अमावस………………
एक दिन ये हमारी, साँस पड़ जायेगी कम।
बुझ सी जायेंगी आँखें, टूट जायेगा ये दम।
याद कर लेना हमको, गीत को गुनगुनाते।
ये अमावस……………………..
— दिवाकर दत्त त्रिपाठी