लघुकथा

एक अधूरी कहानी

नये साल की वह पहली सुबह जैसे बर्फानी पानी में नहा कर आई थी ।10 बज चुके थे पर सूर्यदेव अब तक धुंध का धवल कंबल ओढे आराम फरमा रहे थे ।अनु ने पूजा की थाली तैयार की और ननद के कमरे में झांक कर कहा,

“नेहा! प्लीज नोनू सो रहा है, उसका ध्यान रखना।मैं मंदिर जा कर आती हूँ ।”

शीत लहर के तमाचे खाते और ठिठुरते हुए उसने मंदिर वाले पथ पर पग धरे ही थे कि उसके पैरों को जैसे जकड लिया एक ख्याल ने कि जिसे वो नोनू का ख्याल रखने को बोल आई है वो नेहा कैसे हो सकती है क्योंकि नेहा तो सुबह ही कालेज चली गई थी।अनु के कदम मंदिर की सीढियों से पीछे हट गए और वो बेतहाशा किसी अनजाने डर से घर की तरफ दौड पडी।

अनु ने घर पहुँचते ही देखा वो लडकी नोनू के साथ खेल रही थी तो अनु जोर से चिल्लाई,”कोन हो तुम” और इसी के साथ वो एकदम पसीने से तरबतर हो नींद से जागी तभी नेहा आकर कहती है, “क्या भाभी आज सोते ही रहना है।याद है न आपको आज पूजा के लिए मंदिर जाना है” और नेहा इतना कह कालेज चली गई।

संयोगिता शर्मा

जन्म स्थान- अलीगढ (उत्तर प्रदेश) शिक्षा- राजस्थान में(हिन्दी साहित्य में एम .ए) वर्तमान में इलाहाबाद में निवास रूचि- नये और पुराने गाने सुनना, साहित्यिक कथाएं पढना और साहित्यिक शहर इलाहाबाद में रहते हुए लेखन की शुरुआत करना।