परिवर्तन की हुई शुरुआत
बात 1968-1972 के आस पास की है
कभी लठ्ठो वाला आये
कभी मूंगफली वाला आये
कभी बायस्कोप वाला आये
कभी चूड़ीहारन आये
कभी मछली वाला/वाली आये
दादी धान या गेंहू से बदल लेती थीं
खेतों में काम करने वाले मजदूर हों
धोबी हो
नाई हो
कुम्हार हो
भुजा भुजवाना हो
अनाज ही पाते देखी या खेत मिला है बोओ खाओ
मजदूरी करो
यानि कैशलेस दुनिया हमने देखी है
असुविधाजनक थी बात
परिवर्तन की हुई शुरुआत
फिर क्यों चल रही हवा घात
कुछ नया देखें तो कोई बात नई लगे