गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल- तू भी है दीवाना क्या

चाह नहीं तो आना क्या?
मिलना है तो बहाना क्या?
दिल में जो है कह दो ना,
ये शम्आ-परवाना क्या?
कुछ ना कुछ तो बोलेगी,
दुनिया से घबराना क्या?
गंध न दे जो उस गुल का,
खिलना क्या मुरझाना क्या?
मेरी बात न माना पर,
तेरी बात वो माना क्या?
सोच रहा हूँ कौन था वो,
जो बोला-पहचाना क्या?
ग़ज़लें अच्छी कहता है,
तू भी है दीवाना क्या?

— डॉ.कमलेश द्विवेदी
मो.09415474674