जला देंगे…।
।। जला देंगे..।।
यही था हमारा
सर्वश्रेष्ठ मध्यम मार्ग
जो अनादि काल का
उन्नायक जीवन
एक दूसरे के साथ
जिस किसी की निंदा व स्तुति
कहीं न रही..
इसी महान शीतल छाया में
दिव्य योग साधना में
सभी रह रहे थे
अपने आपमें, अंतरंग शोध में
हरेक ज्ञान-विज्ञानी।
इस महान तरू के
हर पत्ते में
ऊँच-नीच, भेद-विभेद का
कुरीति की ढेरा लगाया,
काल कूट विष भर दिया किसने..?
युग-युगों में ..
स्वार्थी का हर कोना
खुरेद-खुरेदकर हम पहचानें
आधुनिकता में जगे हर किरण का
सुवर्णमय मौका अपने कंधों में उठायें
कदम-कदम चलाते
एकता का गीत गाते
कुटिल तंत्रों का जाल हम तोड़ देंगे
स्वार्थ भावना के हर पन्ने को
भस्म होने तक हम जला देंगे
हर अक्षर को हम जला देंगे।
…. पी .रवींद्रनाथ।