दरकते रिश्ते की पीड़ा -लघु कथा
मेरी बहुत ही घनिष्ट मित्र मिसेज शैलजा तिवारी मुझसे मिलने के लिए आई । उसे उदास देख कर मैंने पूछा क्या बात है ,तबियत ठीक नही है क्या ?
उसने कहा -तबियत तो ठीक है लेकिन मेरी मित्र के साथ कुछ अप्रत्याशित घटित हो गया है ।
मैंने कहा ,क्या हो गया ?
उसने कहा कि मेरे घर पर आप उनसे मिल चुके हो ,उसका नाम जसविंदर कौर है और वो आई ए एस है उसके पति बलबीर कोहली भी आई ए एस पद पर हैं । उनके दो बेटियां है । बड़ी बेटी बाइस वर्ष की और छोटी बेटी उन्नीस वर्ष की । बलबीर का देखने में तो बहुत सीधा-सादा व्यक्ति था ,कभी किसी औरत की ओर आँख उठाकर भी नहीं देखता था । दोनों एक दूसरे की भावनाओं को सम्मान देते बहुत ही सुख सुकून से रह रहे थे लेकिन एक दिन बलबीर ने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया क्योंकि उसे `बैंक ऑफ़ अमेरिका’ में नौकरी मिल गई थी ।वह वहाँ जाकर नौकरी करने लगा । कुछ समय तक पत्नी और बच्चों के संपर्क में रहा लेकिन फिर संपर्क न के बराबर हो गया क्योंकि वह वहाँ पर एक अंग्रेज महिला के साथ रहने लगा था ।
जसविंदर को जब पता चला तो वह खून का घूँट पीकर रह गई । लड़की की शादी करनी है अगर किसी को पता चल गया तो बच्चों की शादी नहीं हो पायेगी । जल्दी ही उसने लड़की के पसंद किये लड़के से शादी तै कर दी । शादी की सब तैयारियां अकेले ही कर दी । बलबीर को भी सूचित कर दिया वह भी शादी में मेहमान के जैसे आया और चला गया ।
जसविंदर अभी भी तलाक नहीं लेना चाहती क्योंकि दूसरी बेटी की शादी करनी है । उसका कहना यह भी है कि“ दिल से रिश्ता तो कब का टूट चुका है ,कागज़ के टुकड़े पर हस्ताक्षर कर देने मात्र से क्या होगा ,सिवाय इसके कि समाज में मैं उपेक्षित और संदेह की दृष्टि से देखी जाउंगी ” ।
“तलाक लेने से क्या दरकते रिश्ते की पीड़ा कम हो जाएगी ? पीड़ा कम नहीं होगी इसलिए मैंने समझौता करके जीना सीख लिया है। जब तक जीवन है तब तक मैं इस रिसते नासूर के साथ अपने बच्चों की खातिर जिऊंगी पर अब किसी पुरुष पर भरोसा नहीं कर पाउंगी ” ।
डॉ रमा द्विवेदी