कुण्डलिया छंद
सखा मुलायम मान लो,अब तुम ‘हमरी’ बात
‘बेटुवा’ को दे दीजिए, कुर्सी और जमात
कुर्सी और जमात, ‘बुढौती’ की है बेला
शाहजहाँ का आज, न दोहरा जाए खेला
कह सुरेश इज्जत भी रह जाएगी कायम
वरना अब सुत लतियाएगा सखा मुलायम ।
— सुरेश मिश्र
सखा मुलायम मान लो,अब तुम ‘हमरी’ बात
‘बेटुवा’ को दे दीजिए, कुर्सी और जमात
कुर्सी और जमात, ‘बुढौती’ की है बेला
शाहजहाँ का आज, न दोहरा जाए खेला
कह सुरेश इज्जत भी रह जाएगी कायम
वरना अब सुत लतियाएगा सखा मुलायम ।
— सुरेश मिश्र